एसईओ SEO की परिभाषा|

SEO strategy
भारत में इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल अपेक्षाकृत देरी से शुरू हुआ, जिस का प्रभाव हमारी SEO इंडस्ट्री पर भी पड़ा, ज़ाहिर है SEO इंडस्ट्री भी भारत में थोड़ा देरी से आई. इंटरनेट में भी वेबसाइट रैंकिंग का कम्पटीशन थोड़ा पहले आओ पहले पाओ पर ही निर्भर है|
आइये समझते हैं| SEO strategy
SEO सभी कर रहे हैं, काफी SEOs अच्छा ही करते हैं, जो अन्तर आता है वो आता है कंटेंट पहले किसने पोस्ट किया है. आप उन लोगो को हटा दीजिए जो SEO नहीं करते या गलत तरीके से इम्प्लीमेंट करते हैं. जो बचता है- वो पहले आने वाले हैं जो कि ऊपर की रैंकिंग पर पहले से ही बैठ जाते हैं. बाकी सभी कॉम्पिटिटिव रिसर्च ही करते हैं. आपको अपनी रैंकिंग लाने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है.
कुछ कारण जिनकी वजह से इंडियन SEO इंडस्ट्री, ग्लोबल SEO इंडस्ट्री से भिन्न है |
वेबसाइट कंटेंट
अभी आपको शायद पता हो या न भी हो, Google Helpful Content अपडेट अक्टूबर में आ चुकी है| हालाँकि विदेशी SEO Community पर ये चर्चा का विषय पिछले कई वर्षों से बना हुआ था, और गूगल ने भी कई बार साफ़ कहा था कि वेबसाइट ऐसी बनाइये जो कि यूजर के लिए हो न कि Search results में जगह बनाने के लिए|
पर कई SEO strategy ने इसे अनदेखा किया, और कई आज भी ये करने में लगे हुए हैं. websites पर ज़्यादातर कंटेंट commercial keywords को ध्यान में रखकर ही लिखा हुआ है. जबकि अंतराष्ट्रीय और बड़ी websites जिनका SEO ठीक तरह से हो रहा है वो ऐसा नहीं करते|
SEO strategy के लिए बैकलिंक्स importins
एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट पर एंकर टेक्स्ट लिंक को बैकलिंक कहा जाता है। किसी अन्य स्रोत या वेबसाइट के लिंक के साथ आपके सामने आने वाला कोई आपके
सामने आने वाला कोई भी लेख बैकलिंक का एक उदाहरण है। वेबसाइट बैकलिंक्स के उदाहरण पूरे इंटरनेट पर पाए जा सकते हैं| विशेष रूप से प्रसिद्धब्लॉग साइटों पर जो
प्रासंगिक जानकारी से लिंक करते हैं।
व्यवहारिकता का आभाव, हमें एक दूसरे को बैकलिंक देने से रोकता है. जहाँ हम देखते हैं कि कई बेहद बड़ी SEO websites भी अच्छे कंटेंट को लिंक्स दे देती हैं, वहीं यहाँ प्रतिस्पर्धा एवं अपनी वेबसाइट के प्रति अत्यधिक झुकाव अक्सर कई इंडियन और दूसरे साउथ एशियाई देशों में, ऐसा करने से रोकता है. बहोत यह कम ऐसी websites हैं जो दूसरे अच्छे कंटेंट को लिंक देने में झिझक महसूस नहीं करतीं.
अक्टूबर २०२२ में गूगल यूज़फुल अपडेट आई, हालाँकि इसमें सीधे सीधे बैकलिंक्स कि बात को कहा नहीं गया, पर आप सोचिये आपके कंटेंट को क्या यूज़फुल बनाता है? अगर आप relevancy मेन्टेन करते हुए अच्छी लिंक को अपने useful resources में जोड़ेंगे तो आपका खुद का कंटेंट valuable बनेगा. अगर आपको Google EAT याद हो तो आप समझेंगे EAT abbreviation me T का मतलब trustworthiness होता है.
हर seo tutorial में international experts ये suggest करते हैं (जो कि सही है ) कि बेहतरीन आर्टिकल लिखिए बैकलिंक अपने आप मिल जाएंगे. यहाँ ऐसा नहीं है.

SEO strategy
बैकलिंक के लिए मैन्युअल आउटरीच SEO strategy
मैन्युअल आउटरीच कहते किसे हैं? ये एक लिंक बिल्डिंग की तकनीक है जिसमे एक वेबसाइट को चुना जाता है फिर वेबसाइट के मालिक से बात कर के उसे एक गेस्ट पोस्ट देते हैं जिसमे आपकी वेबसाइट की एक लिंक हो. ऐसे आपको बैकलिंक मिल जाती है और वेबसाइट ओनर को नया कंटेंट|
समस्या तब होती है जब आप के आर्टिकल में कोई दम न हो या अपने स्पिनर का प्रयोग कर के आर्टिकल दे दिया हो|
जब वेबमास्टर अपनी वेबसाइट पर ये कंटेंट पोस्ट करता है, संभावित है की उसे पेनल्टी का सामना करना पड़े. तो सारी विदेशी सलाह आँखे बंद कर के मानना कहा तक सही होगा|
गेस्ट पोस्टिंग गलत नहीं है लेकिन अगर आप ऐसा करेंगे तो आपका तो नुक्सान है ही, साथ में जिसने आपको बैकलिंक दी है उसकी भी दिक्कत है|
Google useful content update एक sitewide algorithm update है. मतलब ये की अगर कुछ पोस्ट भी आपकी यूज़लेस हैं तो पेनल्टी पूरी वेबसाइट पर लगेगी. हो सकता है की आपकी website दिखना ही बंद हो जाए. तो मैन्युअल
आउटरीच करें मगर सावधानी से. विदेशों में लोगो को पता है पर हमारे यहाँ जागरूकता हो रही है|
कस्टमर का सर्च करने का तरीका, जिस पर पूरा SEO टिका हुआ है|
इंडिया में गूगल सर्च काफी हद तक LSI कीवर्ड्स के ऊपर निर्भर है. वजह है भाषा। इंग्लिशभाषी देश जहाँ पर मुख्य भाषा इंग्लिश ही है| वह लोग इंग्लिश में सोचते और टाइप करते हैं
वही एशियाई देश जिनमे से भारत एक है वह सोचा तो किसी घरेलू भाषा में जाता है लेकिन सर्च इंग्लिश में किया जाता है|
आधी अधूरी इंग्लिश से बानी ये सर्च क्वेरीज कुछ ऐसा सर्च करती हैं जिसमे बाउंस रेट बढ़ने की सम्भावना ज़्यादा रहती है. लोग हिंदी, इंग्लिश, पंजाबी, गुजरती इत्यादि भाषाओँ में सोचते हैं और सर्च करते हैं इंग्लिश में बात इतनी ही हो तो गनीमत है| परन्तु हिंदी भाषी कस्टमर भी इंग्लिश में सर्च करके इंग्लिश की वेबसाइट पर आते हैं. जहाँ इनको कंटेंट पूरा का पूरा इंग्लिश में ही मिलता है. पूरा इंटरेस्टिंग कंटेंट पढ़ने के बजाय वो कंटेंट को सतही तौर पर स्कैन करते हैं.
या तो आप अपनी वेबसाइट की हैडिंग में अपने सारे कंटेट हाईलाइट्स को डाल दीजिए नहीं तो काफी सम्भावना है की आपकी साइट पर अच्छा कंटेंट होने के बावजूद उसे पढ़ा नहीं जाएगा
आप इसी कंटेंट को देखिये, ये बहोत इन्फोर्मटिव है (काम से काम हमें ऐसा लगता है ) आप इस कंटेंट को पड़ते हुए यहाँ तक आ गए.पर इस हिंदी कंटेंट की समस्या ये है कि इसमें कीवर्ड टार्गेटिंग संभव नहीं क्योंकि गूगल searcher इंग्लिश में कीवर्ड टाइप कर रहा है
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समस्या यहाँ आती है जब लोग English पेज पर आएँगे क्योंकि कीवर्ड उन्होंने इंग्लिश में डाला है, पर वो इतना बड़ा कंटेंट पढ़ेंगे नहीं है|
सोशल मीडिया पर शेयर करने की सोच|
सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म उन विषयों को उजागर करने और उनका पीछा करने के लिए एक शक्तिशाली और आसानी से उपलब्ध शस्त्रागार की पेशकश कर सकते हैं
जो युवा लोगों को चिंतित और प्रभावित करते हैं। गतिविधियों, घटनाओं, या समूहों को व्यवस्थित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके बड़े दर्शकों को
मुद्दों और दृष्टिकोणों से अवगत कराया जा सकता है|
हालाँकि ये पॉइंट सभी जगह होता है, लेकिन हम एशियाई गिनती में ज़्यादा हैं तो सोशल मीडिया मैनीपुलेशन में हमारा सबसे बड़ा हाथ गिना जाना चाहिए|
लोग दुसरे के कंटेंट को अपने नाम से पोस्ट करना चाहते हैं| ये एक आदत है. जहाँ अंतराष्ट्रीय SEO मित्र किसी दुसरे के कंटेंट को बना उसे लिंक का क्रेडिट दिए हुए नहीं डालतेवही हम अपने नाम से दुसरे का कंटेंट उठा कर वाहवाही चाहते हैं. वो भी बिना क्रेडिट दिए हुए अपने नाम से हम ऐसा नही कहते कि ये यही होता है पर भीड़ भी तो यही है|

SEO strategy
तो क्या करना सही है?
आपकी strategy ऐसी होनी चाहिए जो यहाँ के environment में काम करे, जो लोग एशिया के बाहर हैं वो वह के हिसाब से कंटेंट लिखते हैं, उनकी मार्केटिंग वह के consumer behavior को ध्यान में रख कर की गई है… हम बस यही सोचते हैं की पूरी तरह से किसी भी SEO सेलिब्रिटी कंसलटेंट को फॉलो नहीं किया जा सकता. अपने आप को पहचानिये, अपनी मार्किट को पहचानिये, मत भूलिए डिजिटल मार्केटर में मार्केटर शब्द का वज़न ज़्यादा है.
(SEOs readers के लिए लिखा गया)